इतनी सी मेरी जिंदगानी है।

इतनी सी मेरी जिंदगानी है यूं ही नहीं मैं ,इतना मजबूत बन पाया हूं ।रोज मर मर कर जीने का ,हुनर सीख पाया हूं ।कई मौसम की फटकार ,चुपचाप सुन कर आया हूं।तभी जज्बा जीने का,अभी तक ना मार पाया हूं ।बारिशों ने भी मुझे ,रंग खूब है दिखाया ,नंगे Read more…